पिछले प्रकरण में, प्रियंका अपने कामुक-गर्मागर्म बदन को उघाड़ कर अपनी चाल-ढाल से बाबू घोष और उसके अंगरक्षक दोनों की नज़रों में आने में कामयाब हो जाती है। वह उनका विश्वास जीत लेती है और आम आदमी की नज़रों से दूर बने आलीशान बंगले में पहुँच जाती है।
अब जब वह एक बार वहाँ पहुँच गई तो क्या प्रिया अपनी योजना के दूसरे चरण में सफ़ल होगी और बाबू का विशाल अपराध-साम्राज्य अपने कदमों में झुका पाएगी?
या बाबू और उसके गुर्गे गर्म प्रिया को अपने घुटने अपने लिए खोलने पर मज़बूर कर देंगे?
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